बचपन का साथ
बचपन का साथ
लेकर गुड़िया हाथ मे
चल देती थी आम की बगीची मे
अपने भाईयों के साथ मे
पेड़ पर मुझे चढ़ना आता नहीं था
भाई मेरे चढ़कर मेरी झोली मे
डालते जाते
नीचे बैठकर मै रसीलो आमो
का खाकर मजा लेती थी
उतर कर भाई मेरे कहते
मोटी हम तो इतनी मेहनत
से है तोड़ते
तू अकेले -अकेले है गटक लेती
सुन कर उनकी बातो को
बड़ी -बड़ी आँखो मे मोटे -मोटे आँसु ले आती
भाई कहते हो गया न शुरू तेरा इमोशनल ड्रामा
मै कहती एक तो आप दोनोँ की आँखे है खराब
पतली दुबली लड़की ,मोटी नजर है आती
चलो मम्मी से कहकर कराती हुँ आँखो का ईलाज
देखो तुम दोनों के लिए बढिय़ा- बढिय़ा रखे है मैंने आम
मै भोली भाली लड़की मम्मी से शिकायत करूंँगी
चलो घर ,मुझे रूलाया न देखो सजा के तौर पर
उठक बैठक लगवाउँगी
भुल जाओगे मुझे मोटी बुलाना😅😅
बचपन का साथ
लेकर गुड़िया हाथ मे
नानी घर जब हम जाते थे
नाना जी मेरे रोज शाम को काम से लौटते वक्त चिनिया बादाम लाते थे
मेरे मौसेरे भाई अपना फटाफट खा लेते थे
और मैं अपनी गुड़िया की मुंडी खोलकर बादाम उसमें छील -छील कर डालती जाती थी
जब सबका खत्म हो जाता तब मै अपना खाती थी
मेरे मौसेरे भाई मुझे लालच की निगाहों से देखते थे
दे दो बादाम का कुछ दाना बहना
ना -नूकूर करके खूब नखरे दिखाती थी
शर्त रखती थी की कल मुझे अपने में से आधी देनी होगी
बेचारे भाई मेरे मान जाते थे
मेरे नानाजी देखकर मेरी मम्मी से कहते थे
लाडो तेरी बेटी है बड़ी खोटी
दिखने मे तो है मोम की गुड़िया
मगर है शैतान की पुड़िया
अकेली बहन होने का खूब फायदा है उठाती
अपने भाइयों से अपनी बात है मनवाती
देख कर मुझे खूब हंँसी है आती
आज भी मेरे अंँदर जिंदा है मेरा बचपन
अपने बच्चों के साथ आज भी मैं खेलती हूंँ अपने खेल बचपन का
आज भी मेरे हठ को वो पूरा करते है
कभी-कभी मेरे पतिदेव मुझसे है कहते कब छोड़ोगी अपना बचपना
मैं कहती हूंँ जब तुम रुखसत कर दोगे मुझे इस दुनिया से तब छूटेगा मेरा बचपना
वो कहते हैं नहीं जाना होगा कहीं तुम्हें
रखो अपना बचपन अपने साथ
तुम सदा रहो मेरे पास क्योंकि मैं तुमसे करता हूंँ बेहद प्यार...
शिल्पा मोदी,,,✍️✍️